परिचय

शांतरक्षित ग्रंथालयके. उ. ति. शि. सं., सारनाथ, वाराणसी का केन्द्रीय ग्रन्थालय है । तिब्बती तथा बौद्ध विद्याओं के अध्येताओं के लिए यह एक विशेष सूचना-स्रोत केंद्र है, यह ग्रंय़ालय वर्ष1967 में इस संस्थान की स्थापना के साथ-साथ अस्तित्व में आया ।

ग्रंथालय का नामकरण प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के महान भारतीय बौद्ध विद्वान् आचार्य शान्तरक्षित के नाम पर किया गया है, जिन्होनें 8वीं सदी में बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के प्रसार हेतु तिब्बत की यात्रा की थी । शांतरक्षित ग्रंथालय में संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं से तिब्बती में अनूदित प्रामाणिक ग्रंथों का विशेष संग्रह विद्यमान है । संस्कृत बौद्ध पांडुलिपियों से तिब्बती भाषा में अनूदित ग्रंथों का समृद्ध संग्रह ग्रंथालय में विभिन्न फार्मेंट्स में संग्रहीत है - जैसे कि मुद्रित, काष्ठचित्र (जायलोग्राफ), डिजिटल, माइक्रो फार्म आदि । इन विविध रूपों के संग्रह तथा इन पर आधारित पाठक सेवाएं प्रदान करने के लिए ग्रंथालय में अलग-अलग अनुभाग है । बौद्ध-धर्म, दर्शन, तिब्बती तथा हिमालयीन विद्याएँ तथा अन्य संबद्ध क्षेत्रों के विषयों का यहाँ का संग्रह पूरे विश्व के अध्येताओं के लिये आकर्षण का केन्द्र है ।

वर्तमान समय ग्रंथालय में लगभग 1,15000 मुद्रित पुस्तकें तथा काष्ठोत्कीर्णित ग्रंथ (जायलोग्राफ)  2000 पत्रिकाओं के जिलदबन्द खण्ड, 7712 इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स, और 9742 माइक्रो फिशेस तथा फिल्म्स् के शीर्षक उपलब्ध है।

यह ग्रंथालय अत्याधुनिक आइसीटी की आधार-संरचना से पूणर्तः सुसज्जित है, तथा  ग्रंथालय के समस्त ग्रंथ संग्रहों के डेटा बेस पर आधारित बहुभाषी ग्रन्थसूची (ओपेक) के माध्यम से  सभी  ग्रंथालय सेवाएँ प्रदान करता है ।

यह ग्रंथालय यूजीसी इन्फोनेट प्रोग्राम का सदस्य है, और आइपी ऑथेंटिकेटेड ऑनलाइन एक्सेस के जरिये स्प्रिंगर के ऑनलाइन जर्नल्स् तथा आइ एस आइ डी और जेसीसीसी के डेटा बेसेस् के सम्पूर्ण संग्रह संस्थान परिसर में कहीं से भी एक्सेस किए जा सकते हैं । मुद्रित तथा ऑनलाइन प्रलेखों के साथ-साथ, माइक्रोफिशेस्, माइक्रोफिल्म्स् तथा ऑडियो-वीडियो डॉक्यूमेन्ट्स् तथा संबद्ध विषयों के प्राचीन काष्ठोत्कीर्णित ग्रंथों का समृद्ध संग्रह ग्रंथालय में विद्यमान है ।

शान्तरक्षित ग्रन्थालय का संग्रह के. उ. ति. शि. सं. के उद्देश्यों के अनुसार सतत् विकसित हो रहा है । 

ग्रन्थालय समिति

ग्रन्थालय की नीति सम्बन्धी निर्णयों तथा भावी योजनाओं पर विचार कर उचित मार्गदर्शन कर अनुमोदित करने तथा ग्रंथालय के सतत्  विकास के लिए उपयोगी सुझाव देने के लिए ग्रंथालय समिति का गठन किया गया है | यह समिति ग्रन्थालय के विषय में निर्णय करने वाली सर्वोच्च समिति है। ग्रन्थालय समिति के सदस्यों का विवरण निम्नवत:

कुलपति -- अध्यक्ष
प्रो. पी. पी. गोखले, सदस्य (के.उ.ति.शि.सं.)
प्रो. के. एन. मिश्र, सदस्य (के.उ.ति.शि.सं.)
प्रो. एस. एस. बहुलकर, सदस्य (पुणे)
प्रो. लोब्संग तेनजिन, सदस्य (के.उ.ति.शि.सं.)
प्रो.जम्पा समतेन, सदस्य (के.उ.ति.शि.सं.)
डॉ अद्वैतवादिनी कौल, सदस्य (सम्पादक कला कोश, आई.जी.एन.सी.ए. नई दिल्ली)
डॉ रमेश चन्द्र नेगी, सदस्य (के.उ.ति.शि.सं.)
डॉ पेम्पा दोर्जे, सदस्य (के.उ.ति.शि.सं.)
श्री सोनम तोपग्याल, सदस्य  (ग्रंथालयाध्यक्ष, एल.टी.डब्ल्यू,ए. धर्मशाला, हि.प्र.) 
डॉ जी. सी. केण्दडमठ, सदस्य  (उप-ग्रंथालयाध्क्ष, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
ग्रंथालयाध्यक्ष / ग्रंथालय-प्रभारी, शांतरक्षित ग्रंथालय, संयोजक

ग्रंथालय कार्यालय

     श्री सुधृति विश्वास
         कार्यालय सहायक (संविदा)

शान्तरक्षित ग्रंथालय के अनुभाग

    • अवाप्ति तकनीकी तथा इन्फ्लिब्नेट अनुभाग
    • मल्टीमीडिया अनुभाग
    • संचयागार अनुभाग
    • कम्प्यूटर अनुभाग
    • तिब्बती अनुभाग
    • सामयिकी तथा सन्दर्भ अनुभाग
    • आदान प्रदान अनुभाग
    • भण्डार तथा रखरखाव अनुभाग