तिब्बती-संस्कृत शब्दकोश
सर्वसाधारण शब्दकोश बनाने के प्रयास के अंश-स्वरूप 16 खंडों
में विभक्त एक तिब्बती-संस्कृत शब्दकोश का निर्माण कार्य 1981 में शुरू हुआ और
2005 में समाप्त हुआ ।
संरचना
यह तिब्बती-संस्कृत समानार्थी शब्दों का विशिष्ट कोश है, जिसमें
बौद्ध क्षेत्र के न्याय, दर्शन, परतत्त्वशास्त्र, नीतिशास्त्र, आगम, साधक सहित्य,
तंत्र, वैद्यक, ज्योतिष, काव्यशास्त्र, व्याकरण आदि से संबद्ध तिब्बती-संस्कृत
पर्यायवाची शब्द उनके अर्थों, परिभाषाओं तथा सन्दर्भ प्रयोगों के साथ प्रस्तुत
किये गये हैं । इसके साथ साथ, न्याय, वैशेषिक, सांख्य इत्यादि बौद्धेतर भारतीय
दर्शनों में प्रयुक्त बौद्ध साहित्य में पाये जानेवाले तिब्बती- संस्कृत पर्याय
भी उनके प्रयोग तथा परिभाषाओं के साथ इस कोश में सन्नहित हैं । वैसे ही बौद्ध तथा
बौद्धेतर दोनों परम्पराओं में आनेवाले दार्शनिकेतर शब्दों का भी इस कोश में ध्यान
रखा गया है । 16 खंडों का यह तिब्बती-संस्कृत शब्दकोश कें. उ. ति. शि. संस्थान के
अनुसंधान विभाग के शब्दकोश इकाई का महायान बौद्ध धर्म को और विशेषकर तिब्बती
बौद्ध अध्ययन को एक अनन्यसाधारण योगदान है । यह आज तक बनाये गये तिब्बती-संस्कृत
शब्दकोशों में सबसे अधिक बृहत् कोश है, जिसमें 100,000 से अधिक पर्यायवाची शब्द
हैं । इस क्षेत्र में कार्यरत विद्वानों ने इस कोश की बहुत सराहना की है तथा उसे
एक इतिहासकारी प्रयास बताया है । प्रो. जे. डब्ल्यू डी जाँग ने इंडो-इरानियन
जर्नल में (खण्ड 40 (3)जुलाई, पृ. 273) इस कोश की समालोचना की है ।
तिब्बती-संस्कृत शब्दकोश (16 खण्ड) का डेटा बेस अथवा सीडी रॉम पूर्ण हो चुका है
तथा शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है ।
धर्मसंग्रह कोश (तिब्बती-संस्कृत धर्म पद उनके प्रकारों के साथ)
“धर्म” शब्द का प्रयोग यहाँ पर अभिप्रेत है, कोई भी ऐसा शब्द
जो किसी प्रवर्ग की ओर संकेत करता है। वर्तमान खण्ड के लिए ये धर्म-वाचक शब्द
मुख्यतः आर्कधर्म, विनय, तंत्र, आयुर्विज्ञान, ज्योतिष आदि बौद्धशास्त्र संप्रदायों
से लिए गये हैं । तिब्बती में अनुवादित संस्कृत ग्रंथों में उपलब्ध बौद्धेतर शब्द
भी इस कोश में समाविष्ट किये गये हैं ।
इस कोश कि संरचना के बनते समय दो पक्षों का ध्यान रखा गया है-
- मुख्य पाठ में दिये गये वांछित धर्म-पद तक आसान पहुँच, और
- तिब्बती तथा संस्कृत पाठकों के लिए और तिब्बती-संस्कृत का तुलनात्मक अध्ययन
करनेवाले अध्येताओं के लिए प्रांसंगिकता ।
इस कोश का निर्माण कार्य 2005 में शुरू हुआ और 2006 में समाप्त हुआ ।
तिब्बती-संस्कृत सामंजस्य पाठ (संदर्भ कोश)
बौद्ध साहित्य के क्षेत्र में अनुसंधान, संपादन, अनुवाद,
शब्दकोश रचना आदि करते समय संस्कृत पाठों का तिब्बती अनुवाद तथा उनके मूल पाठ इन
दोनों का परामर्श लेना पड़ता है । यह निःसंशय बड़ा थकानेवाला काम है । इसलिये,
समय बचाने तथा अनावश्यक परिश्रम से बचने के लिए तिब्बती-संस्कृत पाठों का
सामंजस्य तैयार करना तय किया गया । इस कोश का आरंभ 2005 में तथा समापन 2008 में
हुआ । किसी संस्कृत पाठ के वांछित अंश के अनुरूप कग्युर या तंग्युर तिब्बती
अनुवाद में पता लगाने के लिए इसकी सहायता होती है ।