पूर्ण हो चुके प्रकल्प

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बौद्ध संस्कृत-तांत्रिक ग्रंथों के सम्पादन तथा प्रकाशन का कार्य दु. बौ. ग्रं. पु. वि. के औपचारिक आरंभ के पहले से ही शुरू हो चुका था । दु. बौ. ग्रं. पु. वि. के संस्थापक तथा प्रथम प्रकल्प निदेशक प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय ने पहली बार कालचक्र तंत्र के प्रसिद्ध ज्ञानकोशप्राय भाष्य विमलप्रभा का समालोचनात्मक संपादन करने का विशेष शोध प्रकल्प अपने कंधों पर लिया । उन्होंने संपादित किया हुआ इस ग्रंथ का पहला खंड प. पा. दलाई लामा द्वारा कालचक्र दीक्षा समारोह के शुभ अवसर पर बोधगया में दिसम्बर 1985 में विमोचन कराया । प्रो. उपाध्याय के अचानक दुःखद मृत्यु के बाद शेष ग्रंथ दु. बौ. ग्रं. पु. वि. ने दो और भागों में सम्पादित तथा प्रकाशित किया । विश्वविद्यालय की प्रकाशन सूची में अलग से समाविष्ट किया गया (बिब्लिऑथेका इंडो-तिबेटिका सीरीज क्र.11) पहला खण्ड लंबे समय से मुद्रित रूप में उपलब्ध नहीं है । समग्र ग्रंथ का एक नया समालोचनात्मक संस्करण उसके तिब्बती अनुवाद के साथ प्रगति पथ पर है । दुर्लभ बौद्ध ग्रंथ शोध मालिका के तहत बहुत ही कम समय में कई सारे बौद्ध तांत्रिक ग्रंथ मूल संस्कृत में उनके तिब्बती अनुवादों के साथ दु. बौ. ग्रं. पु. विभाग ने समालोचनात्मक तथा सम्पादन कर प्रकाशित किए है

(A) प्रमुख ग्रंथ

1 ज्ञानोदयतंत्रम् (संस्कृत), 1988
2 वसंततिलका, रहस्यदीपिका भाष्य के साथ (संस्कृत तथा तिब्बती), 1999
3 डाकिनीजालसंवर रहस्य (संस्कृत), 1990
4 कृष्णयमारितंत्र, रत्नावली भाष्य के साथ (संस्कृत तथा तिब्बती), 1992
5 महामायातंत्र, गुणवतीभाष्य के साथ (संस्कृत तथा तिब्बती), 1992
6 शुभाकरगुप्त की अभिसमयमंजरी (संस्कृत तथा तिब्बती) 1993
7 कालचक्रतंत्र पर विमलप्रभा भाष्य, खण्ड-2 (संस्कृत), 1994
8 कालचक्र तंत्र पर विमलप्रभा भाष्य, खंड-3 (संस्कृत) 1994
9 अध्यात्मसारशतकम्, भाष्य के साथ (संस्कृत), 1997
10 सिद्धैकवीरमहातंत्र (संस्कृत तथा तिब्बती), 1998
11 योगिनिसंचारतंत्र, भाष्यों के साथ (संस्कृत तथा तिब्बती), 1998
12 चर्यामेलपकप्रदीप, आर्यदेवकृत (संस्कृत तथा तिब्बती), 2000
13 तत्त्वज्ञानसंसिद्धि, मर्मकलिकाभाष्य के साथ (संस्कृत तथा तिब्बती), 2000
14 कुरुकुल्लाकल्प (संस्कृत तथा तिब्बती), 2001
15 श्रीचक्रसंवर तंत्र, भवभट्ट के भाष्य समेत (संस्कृत तथा तिब्बती), खण्ड1-2, 2002
16 गुह्यसमाजमंडलविधि (संस्कृत तथा तिब्बती), 2009

(B) गौण ग्रन्थ

गुह्यादि - अष्टसिद्धि संग्रह (संस्कृत तथा तिब्बती), 1988, इसमें निम्नलिखित 8 गौण ग्रंथ समाविष्ट हैं :

1 पद्मवज्र का गुह्यसिद्धि
2 अनंगवज्र का प्रज्ञोपायविनिश्चयसिद्धि
3 इंद्रभूति का ज्ञानसिद्धि
4 लक्ष्मींकर का अद्वयसिद्धि
5 योगिनिचिंत का व्यक्तभवानुगततत्त्वसिद्धि
6 डोंबिहेरुक का सहजसिद्धि
7 कुद्दलपाद का अचिंत्यद्वयक्रमोपदेश
8 पद्मवज्र का अद्वयविवरणप्रज्ञोपायविनिश्चयसिद्धि

बौद्ध लघुग्रंथ संग्रह (संस्कृत तथा तिब्बती), 1997, इसमें समाविष्ट हैं निम्नलिखित 11 गौण ग्रंथ हैं :

1 अष्टसाहस्रिकाप्रज्ञापारमितापिंडार्थ (नवश् लकी), भाष्यसमेत (संस्कृत तथा तिब्बती)
2 क्रियासंग्रहकारिका (संस्कृत तथा तिब्बती)
3 अश्वघोषकृत गुरुपंचशिखा (संस्कृत तथा तिब्बती)
4 गुह्यवज्रविलसिनि संधान (शबरपदकृत)
5 दौडिपदकृत गुह्यावली
6 तत्त्वरत्नावलोक, वागीश्वरकीर्ति कृत भाष्य समेत (संस्कृत तथा तिब्बती)
7 नानासिद्धापदेश
8 पंचाकार
9 पंचाकारभिसंबोधि
10 नागार्जुन कृत योगावतार (संस्कृत तथा तिब्बती)
11 आर्यदेव कृत स्वाधिष्ठानप्रभेद (संस्कृत तथा तिब्बती)

“धीः” के अलग-अलग अंकों में निम्नलिखित पाठ प्रकाशित हुए हैं :

1 अमनसिकारक्रम- “धीः”, 10, 1990
2 चक्रसंवरमंडलपूजाविधि- “धीः” 24, 1997
3 कालचक्रभगवत्साधन “धीः” 24, 1997
4 कालचक्रपूजाविधि “धीः”, 25, 1998
5 डाकिनिजालचक्रतश्रीसंवररहस्य नाम साधन “धीः” 26, 1998
6 सेकोद्देश “धीः”, 28, 1999
7 आर्यमहाप्रतिसरविद्यारंजनी- “धीः” 28, 1999
8 हेरुकद्वयवज्रवराहिपरमरहस्य- “धीः”, 27, 1999
9 दोहाकोशटीका- “धीः” 32, 2001
10 आर्यसर्वतथागतोश्रिशासिततपत्रनाम-अपराजिताप्रत्यंगिरमहाविद्यारजनी-“धीः”,33, 2002
11 नित्यकर्मपूजाविधि - “धीः”, 34, 2002
 12 मंडलसाधनविधि- “धीः” 34, 2002
 13 सम्यक्संबुद्धभाषित-प्रतिभालक्षण- “धीः” 35, 2003
 14 अत्रेयतिलकम्- “धीः”, 35, 2003
 15 हेवज्रसाधनोपायिक- “धीः” 36, 2003
 16 चक्रसंवरसमाधि- “धीः”, 36, 2003
 17 हेरुकभ्युदयमहायोगिनितंत्रस्य कतिपयाक्षरपंजिका, “धीः”, 37, 2004
 18 आर्यअमोघपाशहृदय- “धीः”, 38, 2005
 19 श्रीचक्रसंवरपंचक्रम घंटापदस्य-“धीः”, 39, 2005
 20 आर्यग्रहमातृका नाम धारणी- “धीः”, 39, 2005
 21 श्रीगुह्यसमाजमंडलविधि- “धीः”, 42, 2006
 22 आर्यमरीचि-नाम-धारणी-“धीः”, 42, 2006
 23 श्रीवज्रभैरवमहायोगतंत्र (पाताल 1 से 3)- “धीः”, 43, 2007
 24 श्रीबुद्धकपालमहातंत्र- “धीः”, 43, 2007
 25 वसुधरधारणीसूत्र- “धीः”, 44, 2007
 26 चक्रसंवरहेरुकाभिसमय- “धीः”, 45, 2008
 27 गुह्यावली, विवृति समेत- “धीः”, 46, 2008
 28 शुचिकरणम्- “धीः”, 46, 2008
 29 रत्नगुणसंचयगाथाव्यवस्था (क्रमशः), “धीः”, 47-51, 2009-11
 30 भावनायोगावतार- “’धीः”, 48, 2009
 31 गुह्यसमाजप्रदीपोद्योतनाटिका (क्रमशः)- “धीः” 48-50, 2009-10
 32 हेवज्रसाधनोपायिक- “धीः”, 49, 2010

(C) शब्दकोश, शब्दावलियाँ, आदि

1 सम्पादन के सिद्धांत और उपादान (सेमिनार प्रोसीडिंग्ज), 1990
2 लुप्त बौद्ध वचन संग्रह, खण्ड-1, 1990
3 बौद्ध तंत्र कोश, खण्ड-1, 1990
4 दुर्लभ ग्रंथ परिचय, भाग-1, 1990
5 दुर्लभ ग्रंथों की आधार सामग्री, खण्ड-1, 1990
6 भारतीय तंत्रशास्त्र (सेमिनार प्रोसीडिंग्ज्), 1992
7 बौद्ध तंत्र कोश, खण्ड-2, 1997
8 दुर्लभ ग्रंथ परिचय, भाग-2, 1997
9 दुर्लभ ग्रंथों की आधार सामग्री, खण्ड-2, 1997
10 लुप्त बौद्ध वचन संग्रह, खण्ड-2, 2001
11 दुर्लभ ग्रंथों की आधार सामग्री, खण्ड-3, 1997
12 बौद्ध तांत्रिक साहित्य, खण्ड-1, 2005
13 बौद्धतंत्र कोश, खण्ड-3, 2007
14 दुर्लभ ग्रंथों की आधार सामग्री, खण्ड-4, 2010

(d) शोध-पत्रिकाः “धीः”

बौद्ध तांत्रिक अध्ययन के स्रोतों की तथा बौद्ध तंत्र पर नवीनतम उपलब्धि की जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से “धीः” नामक अर्धवार्षिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया । तदनुसार इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ से ही एक नियमित गतिविधि बन गई । अभी तक इस पत्रिका के 51 खण्ड प्रकाशित किये गये हैं ।